Facts About bhairav kavach Revealed
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गद्यपद्यमयी वाणी गङ्गानिर्झरिता तथा ॥ १४॥
आग्नेय्यां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्डभैरवः
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
प्राणत्यागं करिष्यामि यदि नो कथयिष्यसि ।
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हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु read more शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
सर्वदा पातु ह्रीं बीजं बाह्वोर्युगलमेव च ॥
वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।
प्रवक्ष्यामि समासेन चतुर्वर्गप्रसिद्धये ॥ ६॥
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ಭೀಷಣಾಸ್ಯೋ ಮಮಾಸ್ಯಂ ಚ ಶಕ್ತಿಹಸ್ತೋ ಗಲಂ ಮಮ